➤सर्वोत्कृष्ट [१००+] Gulzar Shayaris | Gulzar Best Lines | Gulzar Romantic Shayari | Cutest Shayari - आज हम आपके लिए लेके आये है Gulzar Shayari On Dosti , Gulzar Shayari In Hindi 2 Lines गुलजारजी की शायरिया और कविताएँ जो दशकों से दर्शकों को लुभाती आ रही | Shayari On Dhoka , Gulzar Shayaris ने गुलजारजी को पुरे भारत में एक लोकप्रिय और प्रशंसित शायर बनाया है | पद्म भूषण ,ग्रैमी अवार्ड विजेता,साहित्य अकादमी पुरस्कार ,दादा साहब फाल्के पुरस्कारऐसे बहोत से पुरस्कारोंसे गुलज़ार जी को सन्मानित किया गया है | इस पोस्ट में हमने गुलजारजी की सबसे लोकप्रिय और बेहतरीन कविताएँ और शायरी लेकर आए हैं | गुलजारजी की पंक्तियों की सुंदरता और उनकी कल्पनाशक्ति ने उन्हें भारत के सबसे लोकप्रिय गीतकारों और कवियों में से एक बना दिया है | उनका अतुलनीय लेखन हमारी रूह को मंत्रमुग्ध कर देता है | तो चलिये कुछ अच्छे बेहतरीन और लोकप्रिय शायरी को पढ़ते है | अगर आपको ये Shayari On Bhai , Shayari Photo Downloading , Shayari Downloading पसंद आये तो वेबसाइट को Add To Bookmark करे और अपने दोस्तों को भी जरूर शेयर करे |और भी अच्छी कोट्स के लिए हमारी बाकि पोस्ट भी जरूर पढ़े | अगर आपो हमारे स्टेटस पसंद आए तो अपने दोस्तोंको ,रिस्तेदारोंको या फिर सोशल मीडिया पर जरूर शेयर कीजिये |
नाराज़ हमसे खुशियाँ ही होती है, इतने नखरे ग़मों के नहीं होते |
♛ सर्वोत्कृष्ट रॉयल [३००+] Attitude Captions In Hindi
बस अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल एक डिग्री चाहिए, शायर बनना तो बहुत आसान हैं |
आने वाला पल जाने वाला है,हो सके तो इसमें , ज़िन्दगी बिता दो, पल जो यह जाने वाला है |
इतने भी बुरे नहीं थे हम जितने इल्ज़ाम लगाए लोगोंने , कुछ किस्मत ख़राब थे कुछ आग लगाई अपनों ने |
खुदा ने पूछा की क्या सजा दू उस बेवफा को ,मैंने भी कह दिया की उसे भी प्यार हो जाये किसी बेवफा से |
जीने के लिए सोचा ही नहीं, दर्द सँभालने होंगे ,मुस्कुराये तोह मुस्कुराने के क़र्ज़ उतरने होंगे |
लगता है ज़िन्दगी कुछ खफा है हमसे,चलिए छोड़िये, पहले कौनसी दफा थी |
कोशिश इतनी है की कोई खफा ना हो मुझसे ,बाकि नज़रअंदाज़ करने वालोंसे नज़रे मै भी नहीं मिलता |
झूठ कह दू तो लफ्ज़ो का दम घटता है, और सच बोल दू तो अपने खफा हो जाते है |
शर्त लगाई है मर जाने की, जीना है तो प्यार में, देह कहीं भी हो मेरा, जान रखी है यार में |
मिल जाता बहुत कुछ इस ज़िन्दगी में, गिनती बस हम उसी की करते है जो हासिल ना हो पाया |
होगी बेशूमार मोहब्बत इस ज़मीन से उस बारिश की बूँद को, यूँ ही नहीं मोहब्बत मे कोई गिर जाता है इतना |
एक तो तेरी ही यादे है मेरे पास वरना कोण ऐसेही अकेले में मुस्कुराता है |
हम भूल गए हैं रखकर कहीं, वही चीज़ जिसे हम दिल कहते हैं |
ग़म के ज़ज़्बातों से आपको उभारेगा कौन, हम भी मुक़र गए अगर तो आपको संभालेगा कौन |
अक्सर जिंदगी के रिश्ते इसलिए सुलझते नहीं है,क्योंकि लोग गैरों की बातों में आकर अपनों से उलझ जाते है |
दिल में कुछ जलता है, शायद धुआं ही धुआं लगता है, आँख में भी कुछ चुभता है ,शायद कोई सपना आजकल सुलगता है |
तकलीफ अपने आप ही कम हो गयी, जब अपनों से उम्मीद ही कम हो गयी |
सबको खबर थी मेरे कच्चे घर की और फिर भी अपनों ने दुआओ में बारिश ही माँगी |
तेरे चले जाने से तो आजतक कुछ भी नहीं बदला, रात भी आ गयी और चाँद भी वही था, मगर नींद का कुछ पता नहीं |
दुनिया भूल जाता हूँ मै जो याद करता हुँ तुम्हे, संभालना भूल जाता हूँ खुदको तेरी चाहत में अक्सर |
ज़ुल्फ़ में फँसी हुई खोल देंगे बालियां ,कान खिंच जाए अगर, खा लें मीठी गालियां |
कभी चौक के तो देख लिजिए कोई हमारी तरफ़ भी , किसी की नज़रों में हमको भी कभी इंतजार दिख जाये |
दिल है अगर तो दर्द तो होगा ही, इसका शायद कोई हल ही नहीं हैं |
खता उसकी भी नहीं यारों, वो भी क्या करती,बहुत आशिक़ थे उसके मुझसे क्या से वफ़ा करती |
मंज़िलें से गुमराह कर देते हैं अपने, हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता |
रोई है कोई तेरे छत पे, अकेली ही में घुटकर, लबों पर उतरी जो तो वो नमकीन बारिश थी |
दिन कुछ आजकल ऐसे गुजरते है, जैसे कोई एहसान उतारते है |
आज की रात कुछ थमी सी है, आज फिर आपकी कमी सी है |
नफरत अपनी जगह, मोहब्बत अपनी जगह, दोनो है मुझे तुमसे |
एक साथ घुमते हैं हम दोनों पूरी रात , लोग मुझे आवारा और उसे चाँद कहने लगे है |
हम तो अब किसीको याद भी नहीं करते,फिर भी हिचकी लग गई कैसे आपको?
कभी एक पल में ही गुजर जाती हैं जिंदगी,तो कभी एक पल भी नहीं गुजरता जिंदगी का |
जिनकी आँखों में देखकर कटती थीं सदियाँ,उन्होंने सदियों की जुदाई दी है आज |
तजुर्बा कहता है की अपनों से दूरिया रखिए,ज्यादा करीब जाने से अक्सर ज्यादा दर्द होता है |
उसने कई कश्तिया बनकर कागज की पानी में उतार दी और,ये कहकर बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे अब फिर कभी
उनकी ना थी कोई खता, मै ही गलत समझ बैठा, वो प्यार से बात करती थी ,और मै प्यार समझ बैठा |
सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम, वो भी तो पढ़ो कभी जो हम कह नहीं पाते हैं तुमसे।
एक ही सपने ने सारी रात जगाया है, हर करवट लेकर सोने की कोशिश की थी मैंने।
आँसू जो रुकने लगे हैं ,आँखों में चुभने लगे हैं, नया दर्द दो कोई, तो रो लें हम |
खुली किताबोंके पन्ने उलटते ही रहते हैं , हवा चले न चले दिन तो पलटते ही रहते है |
बदल जाओ वक्त के साथ या वक्त को बदलना सीखो ,मजबूरियोंको मत कोसो, हर हल में आगे बढ़ना सीखो |
देर रात को टहलने निकलती हैं यादे ,लगता है बिगड़ैल हो गयी है |
जरासा रफू करके देख लीजिये ना, फिर से नयी हो जाएगी, ज़िन्दगी ही तो है ये |
मैं दिया हूँ और मेरी दुश्मनी तो सिर्फ ये घने अँधेरे से हैं,हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं |
कोई पुछ रहा हैं कीमत मुझसे मेरी जिंदगी की ,मुझे याद आ गया तेरा वो हल्के से मुस्कुराना |
रहने दे एक मुलाकात यु ही, अक्सर देखा है उधार वालों को लोग भुलाया नहीं करते |
मैंने दबी आवाज़ में पूछा उसको? मुहब्बत करने लगी हो मुज़से ? नज़रें झुका कर वो बोली मुज़से | जान से ज्यादा।
कभी दिलको भी कुरेद कर देखो,अभी भी जलता होगा कोई पल शायद |
बहुत अंदर तक बरबाद देती हैं, वो शिकायते जो बया नहीं हो पाती |
अच्छे लोग और अच्छी किताबें, जल्दी समझ में नहीं आते,उन्हें अच्छेसे पढना पड़ता हैं |
कुछ नया करना है तो भीड़ से हटकर चलिएगा, भीड़ साहस तो देती हैं मगर अपनी पहचान छिन लेती हैं |
सोचा कह दू एक बात अगर कोई समझे तो ,तन्हाई सौ गुना ज्यादा बेहतर है उन मतलबी लोगों से |
फिर वहीं लौटकर जाना होगा,वक्त ने कैसी ये रिहाई दी है।
तुझे बेहतर बनाने के प्रयास में ,तुझे ही वक्त नहीं दे पा रहा हु मै ,माफ़ करना जिंदगी तुझे ही नहीं जी पा रहा हु मै |
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी हैं |
उम्र कहती है, अब संजीदा हुआ जाए, दिल कहता है, कुछ नादानियाँ और सही |
आप के चले जाने के बाद भी हर घड़ी हम ने,आप ही के साथ ही गुज़ारी है |
तेरी यादों के जो आखरी थे निशान ,दिल तड़पता रहा हम मिटाते रहे ,खत लिखे थे जो कभी प्यार में ,उसको पढ़ते रहे और जलाते रहे |
तुम्हारी ही राहों में हम ने अक्सर, अपना ही इंतिज़ार किया रुक कर ।
कौन कहता है हम झूठ नहीं बोलते, जनाब एक बार खैरियत तो पूँछ कर देखिएगा |
ज़िंदगी यूँ हो गयी बसर तन्हा, क़ाफ़िला साथ फिरभी है सफ़र तन्हा।
देख कर ये आइना तसल्ली हुई, मुझे भी इस घर में जानता है कोई।
खुद से पहले सुला देता हु मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को , मगर मुझसे पहले जाग जाती है रोज़ सुबह ये |
साया था छोटासा, आँखों में मेरे आया था, दो बूंदों से मैंने मन भर लिया।
ज्यादा कुछ नहीं बदल गया उम्र के साथ साथ , बस बचपन की जिद्द जिम्मेदारियों में बदल गयी |
बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का कारोबार, मुनाफा कम है, पर गुज़ारा हो ही जाता है |
बचपन में भरी दोपहर में घूम आते थे सारा मोहल्ला, जब से ये डिग्रियां समझ आने लगी है,तब से पांव जलने लगे हैं।
अकेलेपण की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं, बेबसी की छत के नीचे, कोई मुझे भूल रहा हैं।
हसकर थोडा सा, रुलाकर थोडा सा ,ये पलभी यही जानेवाले हैं।
सोचा न था ज़िन्दगी ऐसे फिर से मिलेगी, जीने के लिए ,प्यास लगेगी आँखों को ,अपने ही आँसू पीने के लिए |
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